दौर....

वो दौर था बुतपरस्तो का,
आये *मुस्तफा* ﷺ नूर बन कर...

वो दौर था गुमराही का,
आये *गौस पाक* पीराने पीर बन कर....

वो दौर था जहालत का,
आये *ख्वाज़ा ग़रीब नवाज़* बन कर.....

वो दौर था नज़दियो का,
आये *आला हज़रत* चला उनका क़लम तलवार तीर बन कर....

अब दौर है फितनो का,
खड़े है मेरे *ताज्जुशरिया* हक़ की आवाज़ बनकर.....

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