फैज़ाने सैय्यदना अमीरे मुआविया (पार्ट- 02)

_*फैज़ाने सैय्यदना अमीरे मुआविया (पार्ट- 02)*_
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_*☑जैसा कि मैंने आप को पहले ही बता दिया है कि हम जो भी बात अपनी पोस्ट में करेंगे उन सभी बातों का हवाला कुरान और हदीस की रोशनी मे आपके सामने पेश करेंगे।*_

_*जैसे राफ्जी (शिया) सहाबा के गुस्ताख हैं वैसे ही आज के सुलहकुल्ली जो अपने आप को अहले सुन्नत (सुन्नी) कहते हैं [लेकिन इनका अहले सुन्नत से कोई ताल्लुक नहीं है] ये लोग भी राफ्जियत की जानिब बहुत तेजी के साथ अपना कदम बढ़ा चुके हैं और ये भी सहाबिये रसूल ﷺ हज़रत अमीरे मुआविया रदिअल्लाहो अन्ह और हज़रत अबू सूफीयान رضی اللہ عنھما की शान मे बहुत सी गुस्ताख़ी करने लगे है, यही वजह है कि आज हमें इनका बायकॉट करना पड़ रहा है.!*_

_*"न तुम सदमे हमें देते, न हम फरियाद यूँ करते.*_
_*न खुलते राज़े सरबस्ता, न यूँ रुसवाईया होती".*_

_*अब मैं सबसे पहले अपने मौज़ू का आगाज़ कुराने मजीद की चन्द आयतों के तर्जुमे के साथ करता हूं..*_

_*☝🏻अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त अपनी मुकद्दस किताब में हुजूर ﷺ के सच्चे साथी यानी सहाबा का ज़िक्र करते हुए यूँ फरमाता है :-*_

_*📝तर्ज़ुमा अल कुरान :- "मुहम्मद ﷺ अल्लाह के रसूल हैं और उनके साथ वाले (सहाबा) काफिरो पर सख्त हैं और आपस मे नर्म दिल, तू उन्हें देखेगा रुकु करते सज्दा मे गिरते हुए, अल्लाह का फ़ज़्ल और रिज़ा चाहते हुए, उनकी अलामत उनके चेहरों मे है सज्दो के निशान से, ये उनकी सिफात तौरात मे है और उनकी सिफात इन्जील मे"*_

_*📕 सूरह फ़तह आयत नं. 29*_

_*और अब वो लोग जो किसी सहाबीये रसूल ﷺ ख़ुसुसन जो हज़रत अमीरे मुआविया व हज़रत अबू सूफियान رضی اللہ عنھما को हल्के लफ्ज़ो से याद करते है और उनकी शान मे ज़बानदराजी करते है वो अपनी खैर मनायें।*_

_*📮जारी रहेगा इंशा अल्लाह....*_
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